गाय के बछड़ो का देखभाल कैसे करें ?

आज का नन्हा बछड़ा कल की गाय या भैंस है। छोड़ी उम्र से अगर उनका अच्छी तरह से ध्यान रखा जाए तो भविष्य मैं आपको एक स्वस्थ गाय का लाभ मिल पाएगा। कई मौके पर ऐसा देखा गया है की कई पशुपालक उनके गाय और भैसों की अच्छी तरह से देखभाल करते है किंतु उनके बछड़ों का ध्यान अच्छी तरह से नहीं रखते या कई कारणवस रख नहीं पाते। बो अपने आप ही सिखते खेलते रखते है परन्तु हमें ही उनके सेहत का ध्यान रखना चाहिए। अगर उनका अच्छी से ख्याल नहीं रखा गया तो ऐसे भी हो सकता है की कम आयु मैं ही उन बछड़ों की मृत्यु हो सकती है। और ऐसा हमारे कई पसुपालक भाईयों और बहनो के साथ ही भी चूका है। और यह एक बहुत ही दुखदायी विषय है। इसलिए सभी पशुपालक अपने गे गाय , उनके बछड़ो तथा अपने भविष्य को ध्यान मे रखते हुए उनका भरपूर ध्यान रा रखना चाहिए।

बछड़ों की देखभाल:

जन्म के पश्च्यात भोजन के रूप में उनको माँ का दूध ही दिया जाना चाहिये। ये सबसे पौष्टीक खाना होता है जो की माँ अपने बछड़ों के पोषण की आपूर्ति के लिए बनाए रखती है। ये स्तनपान बछड़ों के लिए सबसे लाभदायी होता है। 3 से 7 दिनों तक सबसे उत्तम और पोषण से भरपूर दूध ही बच्चों को पिना चाहीए। यह बहुत सारी बिमारीओं से बचने के लिए प्रतिपिंड (Antibody) अथवा एंटीबॉडी प्रदान करने का कार्य करता है। साथ ही किसी भी स्वास्थ्य समस्या से निपटने के लिए शरीर में पोषण की भी कमी नहीं होने देता है। बछड़ों का ३ से ५ हफ्तों तक पशुपालकों को उनकी माँ से स्तनपान करवाना चाहिए। उसके बाद ही बच्चा अर्थात बछड़ा चीनी (शुगर) और जैविक (Organic) पदार्थों को अच्छी तरह से पचा पाएगा। बहड़ों को जो भी खाने की चीजों या पीने की चीजें दी जाती हैं वह हमारे शरीर के तापमान के बराबर ही होनी चाहिए। जिस बर्तन था जिस जगह या चीज़ें पर रखकर बछड़ों को खाना दिया जाता है उसकी हमें साफ़ सफाई करते रहनी चाहिए।

पानी (तरल पदार्थ ) का महत्व:

सबसे पहले बछड़ों को साफ़ पानी ही पिलाईए। अलग-अलग जगहों पर कम मात्रा में थोड़ा थोड़ा पानी रखें ताकि बछड़ा कहीं से भी पानी पी सके। इसमें एक साथ बहुत सारा पानी पीने का खतरा भी टल जाता है। अगर पानी साफ़ नहीं है तो उसे साफ़ करने के बाद ही बछड़े को दें। बछड़ों को केवल दूध का ही सेवन करवाऐं । दुध के अलावा छिलके एवं मिठे दही वाला पानी दे सकते हैं। गाय का दूध निकालने से पहले उसे बछड़े को पीने दें। अर्थात पहले स्तनपान कराएं, बाद में दूध निकालें।

मिश्रित खाद्य:

मिश्रित खाद्य कुछ अनुपूरक (सप्लीमेंट्स) और दूध को मिलाकर दिया जाना चाहिए। मिश्रित आहार अथवा भोजन ज्वार, बाजरा, मक्का को मिलाकर बनाएं और जौ (बारले) गेहूं को भी उसमे शामिल कर सकते हैं। मोलासेस (गुड़) 20% मिला सकते हैं खाने में ताकि बछड़ों का विकास अच्छी तरह से हो सके। दलहन, घास और भूसे को मिलाकर, फाइबर युक्त चीजों को मिलाकर सबसे अच्छा पौष्टीक भोजन हम बछड़ों को दे सकते हैं।

सूर्य की किरणों से विटामिन A, B और D मिलता है। ६ महीने का होते ही बछड़ा सुखी हुई घाँस खा सकता है। और अधिक आयु बढ़ने के साथ ही चारा भी दिया जा सकता है। 

सिलेज / साईलेज (SILAGE) भी उनको दिया जा सकता है। और ये कैल्शियम और प्रोटीन की कमी को पूरा करता है जो की सिर्फ़ मक्के से नहीं हो पाती। 

ये हमेशा हमें ध्यान रखना होगा की दूध का कोई अन्य दूसरा विकल्प नहीं होता। अपितु दूध के उपलब्ध न होने पर हम दुसरी चीजों पर भरोसा कर सकते हैं। बस हमें यह ध्यान रखना होगा की उसका पोषक तत्व एवं मात्रा सही होनी चाहिए जैसे की माँ के दूध के समान।

बछड़ों के रहने की जगह: 

बछड़ों को हमे अलग छोटी सी जगह में रखनी चाहिए। और सबको अलग-अलग छोटी सी जगह में रखनी चाहिए ताकि एक-दूसरे के चाटने से बिमारियों न फैलें। बछड़ों के रहने की जगह साफ़-सूतरी, सूखी और हवादार होनी चाहिए। ध्यान रहे की हवा के आने जाने के साथ धूल-मिट्टी कम से कम प्रवेश करे ताकि बछड़ों की आँख में धूल न जाए। सोने के लिए सूखी जगह होनी चाहिए ताकि किटाणुओं का ख़तरा न रहे। ऐसी जगह का चयन करें जहाँ पर सीधे सूरज की किरणें तेज़ हवा या बारिश न पहुँच पाए। अगर पूर्व दिशा में ऐसी कोई जगह है जहाँ पर सीधे बारिश नहीं गिरती है तो यह एक अच्छा विकल्प बन सकता है क्यों की सूर्य पूर्व दिशा से उगता है एवं सूर्य की पहली किरण पोषण के लिए अच्छी होती हैं।

बछड़ों को स्वस्थ रखें:

अपने गाय और बछड़ों को सेहतमंद रखना हम सबका कर्तव्य है। पशुपालकों को ये ध्यान रखना चाहिए की माँ और बच्चा की दोनों का अच्छे से ख्याल रखा जाना चाहिए जब कोई बच्चा पैदा होता है। उसके खाने पीने तथा रोगों से बचने के लिए, हमेशा ध्यान रखना बहुत जरूरी है। बच्चे के पैदा होने के बाद समय समय पर उसकी जाँच किसी पशु विशेषज्ञ से करवाएँ तथा जरूरी टीकाकरण एवं नियमित रूप से उसकी स्वस्थ्य जाँच करते रहिए। और कई सारे विमारीयों से बचने के तौर-तरीके समय समय पर अपनाते रहें ।

माँ को दीजिए सबसे बेहतरीन आहार: 

प्रजनन के समय बछड़े को सबसे अच्छी पोषण मिलना बहुत ही आवश्यक है। रोगों से बचने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करना बहुत ही जरूरी है। और इसे मजबूत करने के लिए पेंष्टिक आहार लेना अति आवश्यक है। अगर पोषण में कोई कमी आ जाए तो बछड़े के विकाश मे बहुत बाधाएँ आती है। इसलिए इस्तेमाल करें पशुपालकों का सबसे भरोसेमंद पशु आहार, तायल फीड्स का खीर बूस्टर। विटामिन, खनिज और भरपूर पोषक तत्वों के साथ, थे जैविक (Organic) खाद जन्म देने जा रही माँ को भरपूर पोषण प्रदान करता है तथा रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है। ताकि माँ और बछड़ा दोनों के सेहत का सम्पूर्ण विकाश हो तथा दूध के उत्पादन में भी बढ़ोतरी हो। खीर बूस्टर से दूध के गुणवत्ता में काफी फर्क पड़त है। और सबसे बढ़ीया उत्पादन मिलता है, जिसमें बच्चे और पशुपालकों दोनों को लाभ ही लाभ मिलता है। ४० शाल का अनुभव एवं २५ (क्वालिटी चेक) गुणवत्ता जाँच के बाद ही बनता है सर्बोतम जैविक खाद जो आपके बछड़े और गाथ दोनों के सेहत का भरपूर ख्याल रखता है।